मुस्कान गजब
अष्टकमलसा खिला अंग यौवन भी है मधुशाला जैसा
आँखोंमे रस अंगुरी , दिलपे तीर चले कटरी जैसा
झुमको कि बात करे कैसे हिलती हो जैसे मधुघट सा
काजल आँखोंका छुये लगे काजरारे काले बालो जैसा
भौहें लगती है तीर कमानी इंद्रधनू सी बांकदार
गालों पर कोमल कमल खिला होठोंका रंग गुलाबी सा
मुस्कान गजब कि चेहरेपे हसती तो लगती हुर कोई
काया भी अजब निराली थी चेहरा उसका कामिनि जैसा
है चाल भी उसकि हिरनी सी, और देखति थी वो रुपवति
बस घायल हुवा यूं दिल मेरा प्यासे प्यासे सावन जैसा.
कवी ; प्रसन्न आठवले
११/०९/२०१७
१६;४३
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