घनश्याम मेरे नीत नाम तेरे
कर गयी है बासुरी मन नाम तेरे
घनश्याम मेरे .....
धर लियो बासुरी होठोंसे ऐसे
बजतेहि सुर सारे भूले जैसे
ब्रजबासी तू मोह लियो
सब सुधबुद ले बिसरायो
ले गयी निंदिया सुर बासुरी तेरे
घनश्याम मेरे
कुछ भी ना सूझे मोहे
संग जो तिहार सोहे
बासुरी के सुर मोहे
तरसाये राधा काहे
ले गयो मुस्कान मधुबन तेरे
घनश्याम मेरे .....
कवी : प्रसन्न आठवले
०४/०९/२०१७
१०:१५
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