सांसोसे तेरे चलते है मेरे दिल के तार अब
बस तू ही अब समझ ले दिलके मेरे इशारे
बस तू ही .....
..
तुझे ढूंढने न लगता दिल है जो अब तुम्हारा
इक हसरत जो हो पूरी जीवन हो अब प्यारा
तेरी बातों में है जानां मीठे ख्वाब के नजारे
बस तू ही ......
इक पल भी जो न देखु दिल चैन न अब पाये
बादल भी जो निकल आये लगे जुल्फोंकेहि साये
मुश्किल ये लगे तबतो जब रातों में दिल ये सहरे
बस तू ही ...........
तुम समझोंगी जो इस दिलको बस ख़ुशी हो ऐसी
पानी में जैसे मछली फिरती हो भंवर जैसी
वरना तो ये है जिंदगी जैसे बुझते हुवे है तारे
बस तू ही ............
कवी : प्रसन्न आठवले
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