हमसफर
हमनसीबा हो मेरी की है आरजू उनकी
हमसफ़र बनके रहेगी है जुस्तजू उनकी ।।
दीदार- ए- दर पे रहूँ है ये तमन्ना मेरी
साथ हो उम्रदराकी है अब चाहत मेरी ।।
चाँदनी की है हमारी कोशिश लेकिन
साथ हो तुम तो है वो भी करीब मेरे ।।
तू जो दे साथ मेरा तो रहूँ खुश सदा ऐ दिल
मेरे हाथो में रहे हाथ तेरा ऊम्रेदील मेरे ।।
साथ हो तुम तो है वो भी करीब मेरे ।।
तू जो दे साथ मेरा तो रहूँ खुश सदा ऐ दिल
मेरे हाथो में रहे हाथ तेरा ऊम्रेदील मेरे ।।
न मै सोचू हो तारो पे बंधा घर अपना
तू रहे दिल के मेरे नजदीक सदा ऐ दिल ।।
मैं ये समझूं मिले मुझको दो जहाँ हासिल
तेरी आँखों में दिखे मुझको खुदा ऐ दिल ।।
तू रहे दिल के मेरे नजदीक सदा ऐ दिल ।।
मैं ये समझूं मिले मुझको दो जहाँ हासिल
तेरी आँखों में दिखे मुझको खुदा ऐ दिल ।।
अब तो ये उम्र गुजर जायगी तेरे दर पे
हम ये साँसे भी छोड़ेगे तेरे दर पे
ख्वाइशों की भी है ये इंतहा अब तो
या मिले फूल या काटे निभाऊंगा तेरे दर पे।।
हम ये साँसे भी छोड़ेगे तेरे दर पे
ख्वाइशों की भी है ये इंतहा अब तो
या मिले फूल या काटे निभाऊंगा तेरे दर पे।।
शायर : खुशमीजाज आशिक
Comments
Post a Comment