तुम
तुम्हारे होठोंकी मुस्कान भी मिल जाए तो काफी है ||
तुम्हारे आँखोंकी नमी भी मिल जाए तो काफी है ||
तुम्हारे पलकोंकी छावमे रहूँ बस ये काफी है ||
तुम्हारे जुल्फोंका साया हो बस ये काफी है ||
आजाद न करना मुझे इन सबसे कभी ||
ज़िंदा न रह पाउँगा बीन इनके कभीभी ||
बस तुम ये करना मेरेलीये इतनासा की ||
मिल जाए तेरी एक सांस भी मुझे काफी है ||
जानता हू रह पाउंगा बिन महफ़िल के ऐ कातिल ||
मिल जाए बस तेरे आँखोंकी शराब ही काफी है ||
शायर : खुशमीजाज आशिक
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