मन ये गाये सरगम
रिमझिम गिरे सावन या गाण्याच्या चालीवर हे गाण लिहिलंय
मन ये गाये सरगम छेड़े सूर ये ऐसी धुन
तेरेही खयालो में डूबा रहे हर पल मन ।।धृ ।।
ऐसेही बेमौसम बरसे घटायुं
जैसे के साजनसे मिलने चली प्रीतम
आजा ना मेरे साजन लगे ना कही ये मन ।।१।।
तेरेही खयालो ......
तेरेही खयालो में डूबा रहे हर पल मन ।।धृ ।।
ऐसेही बेमौसम बरसे घटायुं
जैसे के साजनसे मिलने चली प्रीतम
आजा ना मेरे साजन लगे ना कही ये मन ।।१।।
तेरेही खयालो ......
अब तो तुम्हारी यादे है हरपल
जैसेके सावन में बिजली है आँगन
खींचा जाए रे हरदम तू ही मेरा कणकण ।।२।।
जैसेके सावन में बिजली है आँगन
खींचा जाए रे हरदम तू ही मेरा कणकण ।।२।।
तेरेही खयालो में .....
मूश्किल है अबतो रहना तूम्हारे बीन
जैसे के मछली का मूश्किल है पानी बीन
जैसे के मछली का मूश्किल है पानी बीन
अब ना सताना तूम जल्दी से आना तूम
तेरेही खयालो में ....
तेरेही खयालो में ....
कवी : प्रसन्न आठवले
Comments
Post a Comment