जिंदगी तुम क्या हो
जिंदगी तुमसे जुड़ने का अहसास है
कुछ अल्फाजों की किताब है
चंद लम्हों का सफर है जिंदगी
या खूबसूरत से जजबात है
सुबह की इक मीठी प्याली चाय
किसीके होठों की मुस्कान है
और ठंड की चादर ओढ़े
सबेरे के कोहरें की पहचान है
यकायक सामने आनेवाली बात
लबतक आके छुटनेवाला जाम है
मासूमियत के कंबल में लिपटी सी
अपनेंही अरमानों की पहचान है
तेरे खूबसूरत चेहरे पे लिखे
तेरे दिलकी प्यारवाली बात है
तेरे ना में भी छिपे अल्लड
हांमी के मीठे खयालात है
ये इक जीने का अंदाज भी है
जिंदा रहने और रखने का साज है
बस अपनेही तरीकेसे जिये जा तू
बस इस तरह 'प्यार ', ये अल्फाज है
जिंदगी बेहोशी में होश खोना है
किसीके प्यार में मदहोश होना है
तपते धूप के आगोश में जाना है
किसीको प्यार करते रहना है
जिंदगी
कवी : प्रसन्न आठवले
०३/११/२०१७
०७:२८
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