मेघा आयो
मयूर नृत्य झंकारत बोले रिम रिम झिम झिम मेघा आ रे
अवनी ताप भी सह ना पाये साजन मोरे मेघा आ रे
घटा घटा मे अंग अंग मे खिचे मन मोरा अब तो आ रे
कैसे बोलू असुवन खोलू नयना मोरे, वर्षा गा रे बादल आ रे
बिन तेरे अब नयन सुखात है रात रूकत है साजन आ रे
भिगी अखियां तरसु रतिया राह तकत हूँ अब तो आ रे
घुमड घुमड कर बादल गरजे चहू और से पवन चले है
बादल चहू और से घीरकर कड कड कड कड तांडव करते
आयो मेघा मोरे साजन मेघा बरसो मेघा घिर घिर मेघा
ढम ढमाक ढम ढोल बजे है गरजत गरजत बिजली सजे है
मोरे साजन आयो रास रचायो सुनकर बिनति मोरे मेघा
घनघोर घंटा बरसत बरसत अवनी डोलत सावनवा आयो रे
मचले चहू ओर फव्वारे गिरती बुंदे छम छम नाचे
चारो और घुमडवा छायो मेघा आयो मेघा आयो रे
कवी : प्रसन्न आठवले
०६.०४.२०१७
१९.३०
Comments
Post a Comment