आपका नूर
हूजूर आपका नूर
क्या हम कहे तूमसे
तूम तो जलाते चले
जा रहे हो नजारे
तूम्हे क्या पता
के तूम्हारे ही पीछे
हजारो तरन्नुम
कटे जा रहे हो
ये वादियाँ जैसे
खिले फुल बनकरतूम्हेहि तुम्हीसे है
चूराती चली जैसे
ये कातील अदायें
हमे यूं सताती हो
के जैसे मचलती है
साँसे अभी क्या ये
अब हमसे तुमने
निंदे चुरायी है
अब तो बेचैन हूँ
के कैसे रहे होश
देखा जो ये हुस्नं
क्या हम कहे तूमसे
तूम तो जलाते चले
जा रहे हो नजारे
तूम्हे क्या पता
के तूम्हारे ही पीछे
हजारो तरन्नुम
कटे जा रहे हो
ये वादियाँ जैसे
खिले फुल बनकरतूम्हेहि तुम्हीसे है
चूराती चली जैसे
ये कातील अदायें
हमे यूं सताती हो
के जैसे मचलती है
साँसे अभी क्या ये
अब हमसे तुमने
निंदे चुरायी है
अब तो बेचैन हूँ
के कैसे रहे होश
देखा जो ये हुस्नं
कवी : प्रसन्न आठवले
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