उलझन
मूश्किल है समझ पाना तूमको
जो गम भी देती हो मूझको
और मरहम भी बन जाती हो
मूश्किल .....
जो गम भी देती हो मूझको
और मरहम भी बन जाती हो
मूश्किल .....
सारा मजा जिंदगी जीनेका
बस आ रहा है तूमसे अबतो
के हर उलझन आसां करती हो
मूश्किल .......
तमन्ना तो कई और है दिल कि
लेकिन तेरी सोचमे लग जाता हूँ
इतना दिवानासा कर देती हो
मूश्किल .......
बस आ रहा है तूमसे अबतो
के हर उलझन आसां करती हो
मूश्किल .......
तमन्ना तो कई और है दिल कि
लेकिन तेरी सोचमे लग जाता हूँ
इतना दिवानासा कर देती हो
मूश्किल .......
अब तूम्हे क्या सुनाये क्या चाहत है
आरजू तो बस अब दिलकी यहि है
आरजू तो बस अब दिलकी यहि है
तूमहि जुगनू और तूमहि रोशनी हो
मुश्किल .........
मुश्किल .........
कवी : प्रसन्न आठवले
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