वो बारिश और तुम
हल्की सी वो बारिश थी और हाथ में था हाथ तेरा
बूंदों की रिमझिम पे भी साया जुल्फों का था तेरा
हल्की सी ......
हर इक पल जो चूम रहा था कदमों की आहट को
गूजरा पल शर्माता था होश गवाता
मके तूझको
चू
ऐसे में बिजली का आना और लिपटना मूझसे तेरा
हल्की सी ......
दिलकी बातें लब पर आकर रुक जाती पलको में
मैं न बताऊँ तो तू जाने ऐसा होना ना किस्मत में
या फिर जानके अंजाना सा आँखों का शर्माना तेरा
हल्की सी ......
मैं तो हरदम तुझको चाहू दिलमे तेरी है तसवीर भी
तू भी मूझको चाहे ऐसी होगी क्या मेरी तकदीर भी
ख़्वाबों में तो आते हो पर चाहूं दिलसे साथ तेरा
हल्की सी .....
कवी : प्रसन्न आठवले
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