गीत विश्लेषण - जलते है जिसके लिये जलते हैं जिसके लिये, तेरी आँखों के दिये ढूँढ लाया हूँ वही, गीत मैं तेरे लिये जलते हैं जिसके लिये दर्द बनके जो मेरे दिल में रहा ढल ना सका जादू बनके तेरी आँखों में रुका चल ना सका आज लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिये जलते हैं जिसके लिये दिल में रख लेना इसे हाथों से ये छूटे न कहीं गीत नाज़ुक है मेरा शीशे से भी टूटे न कहीं गुनगुनाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये जलते हैं जिसके लिये जब तलक ना ये तेरे रस के भरे होंठों से मिले यूँ ही आवारा फिरेगा ये तेरी ज़ुल्फ़ों के तले गाये जाऊंगा यही गीत मैं तेरे लिये जलते हैं जिसके लिये चित्रपट : सुजाता (१९५९) निर्माता निर्देशक : बिमल रॉय गीत : मजरूह सुलतानपुरी संगीत : एस डी बर्मन गायक: तलत मेहमूद परिणिता, दो बिघा जमीन, देवदास, मधुमती, यहुदी, बंदिनी या महान आणि यादगार चित्रपटांचे निर्माते दिग्दर्शक बिमल रॉय यांचाच सुजाता हा सामाजिक संदेश देणारा आणि अस्पृश्यता या विषयाला मार्मिकपणे मांडून कोणत्याही तिखट भाष्याशिवाय फक्त दृश्यातून हृदयापर्यंत पोचवणारा सहजसुंदर चित्रपट. मुळात बिमल रॉय हे सामाजिक ज...