गम कूछ तो गम है या है कशिश या है गीला या कू छ सबब ।। कू छ तो बात है शायद होठोंतक आके रुकती है क्या है रब ।। मुझे मेरे दिल की बात क्या पता क्यूँ लगता है गम कू छ ।। है तो सही एक काटा सा चुभता है दिलमे है तो कू छ ।। कू छ पानीसा कू छ खालिसा अहसास है कू छ दर्द पराया ।। लगता अपना गम है कू छ दिल में काटा है सताया।। शायर : खूशमिजाज आशिक